पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर: एक विवादास्पद पदोन्नति और उसका प्रभाव

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पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर: एक विवादास्पद पदोन्नति और उसका प्रभाव

पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर: एक विवादास्पद पदोन्नति और उसका प्रभाव

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को 20 मई 2025 को फील्ड मार्शल के प्रतिष्ठित पद पर पदोन्नत किया गया, जो देश के इतिहास में केवल दूसरी बार हुआ है। इससे पहले, 1959 में अयूब खान को यह सम्मान प्राप्त हुआ था। यह पदोन्नति हाल ही में भारत के साथ हुए सैन्य संघर्ष के बाद हुई है, जिसमें पाकिस्तान को सैन्य पराजय का सामना करना पड़ा था। इस निर्णय ने देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक बहस और आलोचना को जन्म दिया है।

🛡️ असीम मुनीर का सैन्य करियर

जनरल असीम मुनीर का जन्म 1968 में रावलपिंडी में हुआ था। उन्होंने 1986 में फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में कमीशन प्राप्त किया। मुनीर पाकिस्तान के पहले ऐसे सेना प्रमुख हैं जिन्होंने मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) दोनों का नेतृत्व किया है। उनकी ISI प्रमुख के रूप में नियुक्ति अक्टूबर 2018 में हुई थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मतभेदों के कारण आठ महीने में ही उन्हें पद से हटा दिया गया।

उन्होंने गिलगित-बाल्टिस्तान में फोर्स कमांड नॉर्दर्न एरियाज (FCNA) के कमांडर, गुझरांवाला में XXX कॉर्प्स के कमांडर और GHQ में क्वार्टरमास्टर जनरल के रूप में भी सेवा की है। 2022 में उन्हें सेना प्रमुख नियुक्त किया गया।

पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर: एक विवादास्पद पदोन्नति और उसका प्रभाव

⚔️ भारत-पाक संघर्ष और “ऑपरेशन सिंदूर”

2025 में भारत के साथ हुए सैन्य संघर्ष, जिसे “ऑपरेशन सिंदूर” कहा गया, में पाकिस्तान को गंभीर नुकसान उठाना पड़ा। भारतीय सेना के ब्रह्मोस मिसाइल हमलों के दौरान जनरल मुनीर के बंकर में छिपने की खबरें सामने आईं, जिससे उनकी आलोचना हुई। हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने इस संघर्ष के दौरान उनके नेतृत्व की सराहना करते हुए उन्हें फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया।

📈 पदोन्नति पर विवाद और प्रतिक्रिया

जनरल मुनीर की पदोन्नति ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कीं। कई लोगों ने उन्हें “फेल्ड मार्शल” कहकर तंज कसा। भारतीय गायक अदनान सामी ने एक व्यंग्यात्मक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने “सभी गधों की रक्षा करेंगे” कहा, जो इस पदोन्नति पर कटाक्ष माना गया।

हालांकि, पाकिस्तान में एक गैलप सर्वेक्षण में 93% लोगों ने सेना के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त किया, जो जनरल मुनीर की लोकप्रियता में वृद्धि को दर्शाता है।

🕌 धार्मिक झुकाव और नेतृत्व शैली

जनरल मुनीर को “हाफिज-ए-कुरान” के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने सऊदी अरब में तैनाती के दौरान पूरा कुरान याद किया। वे अपने भाषणों में इस्लामी सिद्धांतों का उल्लेख करते हैं और पाकिस्तान की इस्लामी पहचान को प्रमुखता देते हैं। उनकी यह धार्मिक प्रतिबद्धता उन्हें “मुल्ला जनरल” की उपाधि दिलाती है।

🏛️ राजनीतिक प्रभाव और भविष्य की दिशा

जनरल मुनीर की पदोन्नति को पाकिस्तान में सेना के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव के रूप में देखा जा रहा है। उनकी नियुक्ति और पदोन्नति ने सेना और सरकार के बीच की सीमाओं को धुंधला कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम पाकिस्तान में सैन्य नेतृत्व के बढ़ते प्रभुत्व का संकेत है।

🔚 निष्कर्ष

जनरल असीम मुनीर की फील्ड मार्शल के रूप में पदोन्नति ने पाकिस्तान में सैन्य और राजनीतिक परिदृश्य में नई बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर यह पदोन्नति सेना के मनोबल को बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखी जा रही है, वहीं दूसरी ओर यह निर्णय आलोचना और विवाद का केंद्र बन गया है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह पदोन्नति पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और भारत के साथ उसके संबंधों पर क्या प्रभाव डालती है।

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